वशीकरण मंत्रों की सिद्धि और प्रयोग की विधियाँ vasheekaran mantron kee siddhi aur prayog kee vidhiyaan

वशीकरण की सिद्धियाँ –

किसी भी देवी-देवता के मंत्र की सिद्धि होने पर सभी प्रकार के अभिचार कर्म सफलतापूर्वक किया जा सकते है; यदि साधक को अभिचार कर्मों की विधियां, इसके रसायन-विज्ञान , कुण्डों की विशेषता, मालाओं के वर्गीकरण; आसन , वस्त्र, रंग, दिशा, समय काल, समिधा, हवन सामग्री का ज्ञान हो।सिद्धि साधकों को भी अभिचार कर्मों में 9 से 45 दिन दिन तक प्रतिदिन कुछ घंटों का व्यक्त लगता है।मन्त्र सिद्ध न हो तो अभिचार कर्मों में सफलता नहीं मिलती|

क्रिया स्थान –

पर्वत क्षेत्र, नदी का किनारा, एकदम शांत सूना गृह या बनाई गयी झोपड़ी, शिवालय , सिद्ध पीठ, निर्जन चौराहा, निर्जन जंगल या बाग़ – इसे करते समय दिशा आदि का निर्धारण सभिचार कर्म के अनुसार होता है|

दिशायें और समय –

ये क्रियाएं 9 से 1 रात में की जाती हैं।दिशा उत्तर होती है।वशीकरण की क्रियाएं अग्निमंडल में की जाती है।जल में भी इनका प्रयोग किया जाता है|

विदर्भ विधि से ही मंत्र कारगर होता है –

मंत्र के दो अक्षर, फिर साध्य नाम का एक अक्षर लेकर मंत्र बनाने को विदर्भ विधि कहते है।अंत या मध्य में नाम देने से मंत्र काम नहीं करते।सफलता नहीं मिलेगी|

भैरवी विधि –

इस विधि में सफलता शीघ्र मिलती है।स्त्रियों को भी इस विद्या की सिद्धि या सफलता शीघ्र मिलती है।स्त्रियाँ पुरुष की अपेक्षा 40% मन्त्र जप करके ही सफलता प्राप्त कर लेती है।कारण उनका भावना प्रधान और दृढ संकल्प होना है।सभी प्रकार के अभिचार कर्मों में स्त्रियों को श्रेष्ठ रूप से सफलता प्राप्त होती है।भैरवी विधि में उनके इसी गुण का लाभ उठाया जाता है|

परन्तु अभिचार कर्म बिना भैरवी के भी सम्पन्न होता है ; भले ही समय अधिक लगें|