कहते हैं प्यार वो खूबसरत एहसास है जिसे इंसान महसूस करना चाहे ना चाहे लेकिन हर किसी की जिंदगी में उम्र में एक दौर ऐसा जरूर आता है जब उसे एक अजीब सी फिलिंग होने लगती है। लेकिन अक्सर वास्तविक जीवन में कई प्रेमी सिर्फ प्रेमी ही रह जाते हैं वे अपने इस एहसास को रिश्ते में नहीं बदल पाते हैं। मतलब शादी के बंधन में नहीं बन पाते हैं। इसका कारण वैसे तो परिवार, समाज और उनके जीवन में बनने वाली कई परिस्थितियां होती हैं लेकिन अगर ज्योतिष के नजरिये से देखें तो प्रेमियों के बिछडऩे का कारण ग्रह दशा भी होती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसका कारण तीन ग्रह होते हैं। सूर्य, बुध और शुक्र इन तीनों ग्रहों के कारण जातक प्रेम में पड़ता है। अगर यह तीनों ग्रह युति करें तो प्रेम विवाह निश्चित होता है।
यदि यह तीनों ग्रह एक ही क्रम में अलग-अलग भावों मे स्थित हो तो प्रेम होकर विच्छेद हो जाता है। इन तीनो ग्रहों में से कोई दो युति करते हों तथा एक अलग भाव में स्थित हो जाए तो बहुत मुश्किल से प्रेम विवाह होता है। सूर्य, बुध सप्तम स्थान में हों तो अपने से बड़ी उम्र का प्रेमी मिलता है।
शुक्र बलवान होने पर कई साथी मिलते हैं परतुं अन्य दो ग्रह सूर्य-बुध के कमजोर होने पर जातक को अपना प्रेम नहीं मिलता।
क्या करें प्रेम विवाह हेतु?
– अपने साथी का नाम लिखकर एक पीपल का पत्ता रविवार, सोमवार और मंगलवार को शिवजी पर चढाएं।
– शिव चालीसा का पाठ करें।
– महाकाली का पूजन मंगलवार के दिन करें।
– मछली को आटे की गोली खिलाएं।
– मां पार्वती की आराधना करें।
– श्रीकृष्ण की पूजा करें।
– बिल्व पत्र पर चंदन से (श्रीं) लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें।