मनचाहा प्यार पाने के टोटके

क्या आप प्रेमी को पाने के उपाय प्राप्त करना चाहते है या प्रेमी का खोया प्यार पाने के उपाय ? प्यार चाहे पति-पति के बीच का हो, या प्रेम-प्रेमिका के दिल में पनपा हुआ। इसे सदा के लिए कायम रखना कोई सहज खेल नहीं है। प्रेम की सच्चाई और प्रगाढ़ता जीवन में कई बातों पर निर्भर करती है, जिसे परिस्थितियों के माहौल के अनुरूप सहेजना-संभालना पड़ता है। इसके लिए किए जाने वाले सरल नुस्खों के अतिरक्ति तंत्र, मंत्र, टोने-टोटके और ज्योतिषीय उपायों के हो सकते हैं।
सहदेई की जड़ को कमर में बांधकर प्रेम की चाहत रखने वाली लड़की के पास जाने से उसका सम्मोहन बढ़ जाता है और वह वश में आ जाती है। इस तरह से प्यार के पनपने की शुरूआत हो जाती है।
सफेद अपराजिता की जड़ को गोरोचन के साथ पीसे हुए पदार्थ को तिलके रूप में लगाकर प्यार के लिए पसंदीदा लड़की के पास जाने से उसके दिल में प्यार उमड़ पड़ता है और वह मन-मस्तिष्क से वशीभूत हो जाती है।
सफेद आक की जड़ को लाल धागे के साथ कमर में बांधकर प्रिय के पास जाने से उसके प्रेम में मधुरता आ जाती है।
प्यार करने वाले को चाहिए कि वे धतूरे के बीज को नारियल में कपूर के साथ मिलाकर पीस लें। इसका नियमित तिलक लगाएं। इसके प्रभाव से प्रेमिका के प्यार में जारा भी कमी नहीं आती है और उसके मन में कभी भी छोड़कर दूसरे के पास जाने के बारे में विचार तक नहीं आते हं।
प्रेमियों को आपसी प्रेम बनाए रखने के लिए चाहिए कि वे शुक्रवार और पूर्णिमा के दिन अवश्य मिलें। यह दिन प्रेम की प्रबलता बढ़ाने वाला होता है तथा इस दिन मिलने से प्रेमियों के बीच प्रेम में कमी नहीं आती है। इसके साथ ही यदि चाहते हैं कि प्रेम-प्रसंग में किसी तरह की बाधा नहीं आए, और न ही विवाद उभरने पाए तो उन्हें अमावस्या या शनिवार के दिन मिलने से बचना चाहिए।

काला जादू

माघ मास की कृष्णपक्ष अष्टमी के दिन को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में अर्द्धरात्रि के समय रक्त चन्दन से अनार की कलम से “ॐ ह्वीं´´ को भोजपत्र पर लिख कर नित्य पूजा करने से अपार विद्या, बुद्धि की प्राप्ति होती है।

2॰ उदसौ सूर्यो अगादुदिदं मामकं वच:।
यथाहं शत्रुहोऽसान्यसपत्न: सपत्नहा।।
सपत्नक्षयणो वृषाभिराष्ट्रो विष सहि:।
यथाहभेषां वीराणां विराजानि जनस्य च।।

यह सूर्य ऊपर चला गया है, मेरा यह मन्त्र भी ऊपर गया है, ताकि मैं शत्रु को मारने वाला होऊँ। प्रतिद्वन्द्वी को नष्ट करने वाला, प्रजाओं की इच्छा को पूरा करने वाला, राष्ट्र को सामर्थ्य से प्राप्त करने वाला तथा जीतने वाला होऊँ, ताकि मैं शत्रु पक्ष के वीरों का तथा अपने एवं पराये लोगों का शासक बन सकूं।
21 रविवार तक सूर्य को नित्य रक्त पुष्प डाल कर अर्ध्य दिया जाता है। अर्ध्य द्वारा विसर्जित जल को दक्षिण नासिका, नेत्र, कर्ण व भुजा को स्पर्शित करें। प्रस्तुत मन्त्र `राष्ट्रवर्द्धन´ सूक्त से उद्धृत है।

३॰ बच्चों का पढ़ाई में मन न लगता हो, बार-बार फेल हो जाते हों, तो यह सरल सा टोटका करें-
शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार को सूर्यास्त से ठीक आधा घंटा पहले बड़ के पत्ते पर पांच अलग-अलग प्रकार की मिठाईयां तथा दो छोटी इलायची पीपल के वृक्ष के नीचे श्रद्धा भाव से रखें और अपनी शिक्षा के प्रति कामना करें। पीछे मुड़कर न देखें, सीधे अपने घर आ जाएं। इस प्रकार बिना क्रम टूटे तीन बृहस्पतिवार करें। यह उपाय माता-पिता भी अपने बच्चे के लिये कर सकते हैं।