नाव की कील से दूर करें शनि के अशुभ प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को क्रूर ग्रह माना जाता है, इसकी स्थिति से किसी भी व्यक्ति का पूरा जीवन प्रभावित होता है। शनि को न्यायाधिश का पद प्राप्त है। यह हमें हमारे कर्मों का फल प्रदान करता है। जिस व्यक्ति के जैसे कर्म होते हैं उसी के अनुसार उन्हें फल की प्राप्ति होती है। शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के समय सबसे अधिक प्रभावी होता है।

सामान्यत: साढ़ेसाती और ढैय्या के समय अधिकांश व्यक्तियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनसे बचने के लिए सबसे जरूरी है कि शनि देव की आराधना और धार्मिक कर्म करें।

शनि कृपा प्राप्ति के लिए एक सटिक उपाय बताया गया है नाव की कील। नाव की कील का छल्ला बनवाकर इसे मिडिल फिंगर में शनिवार के दिन पहनें। यह एक सटिक उपाय है। नाव की कील धारण करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। बिगड़े कार्य स्वत: ही बन जाते हैं। सभी परिणाम आपके पक्ष में आने लगते हैं।

कैसे पहनें नाव की कील का छल्ला?

किसी भी नाव वाले से उसकी नाव की कील प्राप्त करके उसका छल्ला बनवा लें या बाजार से भी यह छल्ला प्राप्त किया जा सकता है। छल्ले को शुक्रवार की रात मीठे तेल में रख दें। अब शनिवार को दोपहर 1 बजे से 2 बजे के बीच मध्यमा या मिडिल फिंगर में शनिदेव का नाम लेकर पहन लें।