कामदेव वशीकरण मंत्र साधना

क्या किसी को वशीभूत करने के लिए कामदेव वशीकरण मंत्र का प्रयोग करना चाहते है? स्त्री-पुरुष के बीच आपसी प्रेम, सौंदर्य और काम भावना के प्रति आकर्षण के लिए कामदेव को याद किया जाता है

कामदेव की आराधना उनके क्लं मंत्र से की जाती है। इस मंत्र को अनुष्ठानिक विधियों के अनुसार उपयोग करने पर मनोवांछित लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। कामदेव के क्लीं मंत्र का प्रतिदिन पाठकर  सामने वाले व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में मनोवांछित संवेदना जागृत की जा सकती है। इससे उत्पन्न संवेदनशीलता से न केवल भावनात्मक सम्मोहन होता है और वे दूसरे की प्रशंसा करने लगते हैं, बल्कि स्त्री-पुरुष के बीच शारीरिक आकर्षण भी बढ़ता है।

इसके मंत्र का जाप 21 दिनों तक 108 बार सूर्योदय से पहले और रात्री में करने की सलाह दी जाती है। सच्चे मन और ध्यान से जाप करने से कामदेव मंत्र की सिद्धि हो जाती है, जिससे न केवल किसी व्यक्ति को आकर्षित किया जाता है, बल्कि उसके सम्मोहन या वशीकरण को बनाए भी रखा जा सकता है। परंतु हां, कुछ आवश्यक शर्तों के तौर पर मंत्र जाप के दिनों में शाकाहारी भोजन करना आवश्यक है

सिद्ध वशीकरण मन्त्र

॰ “बारा राखौ, बरैनी, मूँह म राखौं कालिका। चण्डी म राखौं मोहिनी, भुजा म राखौं जोहनी। आगू म राखौं सिलेमान, पाछे म राखौं जमादार। जाँघे म राखौं लोहा के झार, पिण्डरी म राखौं सोखन वीर। उल्टन काया, पुल्टन वीर, हाँक देत हनुमन्ता छुटे। राजा राम के परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौकी। कीर करे बीट बिरा करे, मोहिनी-जोहिनी सातों बहिनी। मोह देबे जोह देबे, चलत म परिहारिन मोहों। मोहों बन के हाथी, बत्तीस मन्दिर के दरबार मोहों। हाँक परे भिरहा मोहिनी के जाय, चेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।”
विधि- उक्त मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक सज्जन के द्वारा अनुभूत बतलाया गया है। फिर भी शुभ समय में १०८ बार जपने से विशेष फलदायी होता है। नारियल, नींबू, अगर-बत्ती, सिन्दूर और गुड़ का भोग लगाकर १०८ बार मन्त्र जपे।
मन्त्र का प्रयोग कोर्ट-कचहरी, मुकदमा-विवाद, आपसी कलह, शत्रु-वशीकरण, नौकरी-इण्टरव्यू, उच्च अधीकारियों से सम्पर्क करते समय करे। उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए इस प्रकार जाँए कि मन्त्र की समाप्ति ठीक इच्छित व्यक्ति के सामने हो।

वशीकरण मंत्रों की सिद्धि और प्रयोग की विधियाँ vasheekaran mantron kee siddhi aur prayog kee vidhiyaan

वशीकरण की सिद्धियाँ –

किसी भी देवी-देवता के मंत्र की सिद्धि होने पर सभी प्रकार के अभिचार कर्म सफलतापूर्वक किया जा सकते है; यदि साधक को अभिचार कर्मों की विधियां, इसके रसायन-विज्ञान , कुण्डों की विशेषता, मालाओं के वर्गीकरण; आसन , वस्त्र, रंग, दिशा, समय काल, समिधा, हवन सामग्री का ज्ञान हो।सिद्धि साधकों को भी अभिचार कर्मों में 9 से 45 दिन दिन तक प्रतिदिन कुछ घंटों का व्यक्त लगता है।मन्त्र सिद्ध न हो तो अभिचार कर्मों में सफलता नहीं मिलती|

क्रिया स्थान –

पर्वत क्षेत्र, नदी का किनारा, एकदम शांत सूना गृह या बनाई गयी झोपड़ी, शिवालय , सिद्ध पीठ, निर्जन चौराहा, निर्जन जंगल या बाग़ – इसे करते समय दिशा आदि का निर्धारण सभिचार कर्म के अनुसार होता है|

दिशायें और समय –

ये क्रियाएं 9 से 1 रात में की जाती हैं।दिशा उत्तर होती है।वशीकरण की क्रियाएं अग्निमंडल में की जाती है।जल में भी इनका प्रयोग किया जाता है|

विदर्भ विधि से ही मंत्र कारगर होता है –

मंत्र के दो अक्षर, फिर साध्य नाम का एक अक्षर लेकर मंत्र बनाने को विदर्भ विधि कहते है।अंत या मध्य में नाम देने से मंत्र काम नहीं करते।सफलता नहीं मिलेगी|

भैरवी विधि –

इस विधि में सफलता शीघ्र मिलती है।स्त्रियों को भी इस विद्या की सिद्धि या सफलता शीघ्र मिलती है।स्त्रियाँ पुरुष की अपेक्षा 40% मन्त्र जप करके ही सफलता प्राप्त कर लेती है।कारण उनका भावना प्रधान और दृढ संकल्प होना है।सभी प्रकार के अभिचार कर्मों में स्त्रियों को श्रेष्ठ रूप से सफलता प्राप्त होती है।भैरवी विधि में उनके इसी गुण का लाभ उठाया जाता है|

परन्तु अभिचार कर्म बिना भैरवी के भी सम्पन्न होता है ; भले ही समय अधिक लगें|