घोर रूपिणी वशीकरण

जैसे की बंगलामुखी वशीकरण, इन्द्र्जाल वशीकरण, आकर्षण वशीकरण, भोजपत्र वशीकरण, काली वशीकरण, मोहिनी वशीकरण इत्यादि। ये सब वो तरीके है जिनके इस्तेमाल से इंसान अपनी किसी भी मुराद को पूरा करने का प्रयास करता है।

इंसान की इच्छाए बहुत सारी होती है, कई बार वो सही तरीके से पूरी नहीं होती तो व्यक्ति किसी भी कीमत पर उसे पूरा करने की कोशिश करता है। जैसे कोई पुरुष किसी स्त्री को अपनी ओर आकर्षित करना चाहता है, किसिकों कर्ज़ से मुक्ति चाहिए, कोई अदालत के चक्कर लगाकर थक चुका है, कोई अपने शत्रु को नियंत्रण मे रखना चाहता है तो कोई विवाह मे आने वाली अडचनों को दूर करने के इरादे से वशीकरण, जादू-टोटके या तंत्र-मंत्र साधना विधि का इस्तेमाल करता है। उनही विधि-विधान मे से एक उपाय है घोर रूपिणी वशीकरण ।

तो अब आपको घोर रूपिणी वशीकरण के प्रयोग के बारे मे बताते है। माना गया है की इसकी साधना से साधक को काफी अच्छा परिणाम मिलता है। इसका प्रयोग करके साधक अपने शत्रु पर वशीकरण कर सकता है, साथ ही ये साधना की मदद से रूठी हुई पत्नी/स्त्री को भी वश में किया जा सकता है। तो इस मंत्र साधना का मंत्र इस प्रकार है,

मंत्र:
“अं कं चं टं तं पं यं शं बिन्दुराविर्भव, आविर्भव,
हं सं लं क्षं मयि जाग्रय-जाग्रय, त्रोटय-त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा, खां खीं खूं खेचरी तथा॥
म्लां म्लीं म्लूं दीव्यती पूर्णा, कुञ्जिकायै नमो नमः।।
सां सीं सप्तशती-सिद्धिं, कुरुष्व जप- मात्रतः॥
इदं तु कुञ्जिका-स्तोत्रं मंत्र-जाल-ग्रहां प्रिये।
अभक्ते च न दातव्यं, गोपयेत् सर्वदा श्रृणु।।
कुंजिका-विहितं देवि यस्तु सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिं, अरण्ये रुदनं यथा॥
। इति श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वतीसंवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् “।