Gandmool Dosh Nivaran Puja गंडमूल दोष निवारण पूजा

गंडमूल दोष निवारण पूजा

गंडमूल दोष निवारण पूजा

तिथि गण्ड – 5, 10, 15 के अन्त की एक घटी और 1, 6, 11 की आदि की 1 घटी गण्डान्त होती है जोकी अशुभ है।

लग्न गण्डान्त – कर्क, वृश्चिक, मीन की अन्त की आधी घड़ी और सिंह, धन मेष की शुरु की आदि घढ़ी गण्डान्त हती है जो की अशुभ है।

 नक्षत्र गण्डान्त – रेवती, अश्लेषा, ज्येष्ठा की अन्त की 2 घड़ी और अश्विनी, मघा, मूल की शुरु की 2 घड़ी गण्डान्त होती है|

जन्म समय में दुष्ट काल, तिथि क्षय, व्यतिपात, व्याघात, वैधृति, शूल, गण्ड, अतिगण्ड, परिधी, भद्रा, यन घंट, काल, मृत्यु, दग्धा, योग, कृष्ण चतुर्दशी, मावस, पिता व भाई का जन्म नक्षत्र इत्यादिक दुष्ट काल की भी गण्ड संज्ञा मानी गैइ है।

ज्योतिष कल्पद्रुम में अश्विनी नक्षत्र की आदि की 3 घड़ी, मघा के आदि की 4 घड़ी, मूल के आदि की 9 घड़ी, अश्लेषा के अन्त की 11 घड़ी, ज्येष्ठा के अन्त की 5 घड़ी, रेवती के अन्त की 12 घडी, आदि उपरोक्त समय में सूतक के अन्त में या 12वें दिन या जन्म नक्षत्र दोबारा आने पर विधी अनुसार शान्ति अवश्य करनी चाहिए।

जातकाभरण नामक ग्रन्थ में कहा है कि जिस बालक का जन्म कृष्ण पक्ष की तृतीया मंगलवार, दशमी शनिवार और शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी बुधबार सहित हो और मूल न्क्षत्र भी हो तो ऐसे समय में जन्मा बालक समग्र कुल का नाश करता है। दिन, संज्ञा, प्रातःकाल में जन्म हो तो क्रमशःपिता, माता, पशु और मित्र वर्गों को मूल नष्ट फल करते हैं।