सिद्ध वशीकरण मन्त्र

॰ “बारा राखौ, बरैनी, मूँह म राखौं कालिका। चण्डी म राखौं मोहिनी, भुजा म राखौं जोहनी। आगू म राखौं सिलेमान, पाछे म राखौं जमादार। जाँघे म राखौं लोहा के झार, पिण्डरी म राखौं सोखन वीर। उल्टन काया, पुल्टन वीर, हाँक देत हनुमन्ता छुटे। राजा राम के परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौकी। कीर करे बीट बिरा करे, मोहिनी-जोहिनी सातों बहिनी। मोह देबे जोह देबे, चलत म परिहारिन मोहों। मोहों बन के हाथी, बत्तीस मन्दिर के दरबार मोहों। हाँक परे भिरहा मोहिनी के जाय, चेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।”
विधि- उक्त मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक सज्जन के द्वारा अनुभूत बतलाया गया है। फिर भी शुभ समय में १०८ बार जपने से विशेष फलदायी होता है। नारियल, नींबू, अगर-बत्ती, सिन्दूर और गुड़ का भोग लगाकर १०८ बार मन्त्र जपे।
मन्त्र का प्रयोग कोर्ट-कचहरी, मुकदमा-विवाद, आपसी कलह, शत्रु-वशीकरण, नौकरी-इण्टरव्यू, उच्च अधीकारियों से सम्पर्क करते समय करे। उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए इस प्रकार जाँए कि मन्त्र की समाप्ति ठीक इच्छित व्यक्ति के सामने हो।

तंत्र मंत्र

सारे प्रयोग किसी सिद्ध पुरुष या गुरु की देखरेख में ही संपन्न करे | अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि के साथ साथ कुछ गलत भी घटित हो सकता है  जहां कहीं भी यह पौधा अपने आप उग आता है, उसके आस-पास पुराना धन गड़ा होता है । जिस घर में श्वेतार्क की जड़ रहेगी, वहां से दरिद्रता स्वयं पलायन कर जाएगी । इस प्रकार मदार का यह पौधा मनुष्य के लिए देव कृपा, रक्षक एवं समृद्धिदाता है । सफेद मदार की जड़ में गणेशजी का वास होता है, कभी-कभी इसकी जड़ गणेशजी की आकृति ले लेती है । इसलिए सफेद मदार की जड़ कहीं से भी प्राप्त करें और उसकी श्रीगणेश की प्रतिमा बनवा लें । उस पर लाल सिंदूर का लेप करके उसे लाल वस्त्र पर स्.थापित करें । यदि जड़ गणेशाकार नहीं है, तो किसी कारीगर से आकृति बनवाई जा सकती है । शास्त्रों में मदार की स्तुति इस मंत्र से करने का विघान है ।गणेशोपासना में साधक लाल वस्त्र, लाल आसन, लाल पुष्प, लाल चंदन, मूंगा अथवा रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करें । नेवैद्य में गुड़ व मूंग के लडडू अर्पित करें । ‘‘ ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् ’’ मंत्र का जप करें । श्रद्धा और भावना से की गई श्वेतार्क की पूजा का प्रभाव थोड़े बहुत समय बाद आप स्वयं प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करने लगेंगे । तंत्र शास्त्र में श्वेतार्क गणपति की पूजा का विधान है