सिद्ध वशीकरण मन्त्र-मुकदमा-कलह-शत्रु-नौकरी के लिए

मन्त्र का प्रयोग कोर्ट-कचहरी, मुकदमा-विवाद, आपसी कलह, शत्रु-वशीकरण, नौकरी-इण्टरव्यू, उच्च अधीकारियों से सम्पर्क करते समय करे। उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए इस प्रकार जाँए कि मन्त्र की समाप्ति ठीक इच्छित व्यक्ति के सामने हो।
बारा राखौ, बरैनी, मूँह म राखौं कालिका।
चण्डी म राखौं मोहिनी, भुजा म राखौं जोहनी।
आगू म राखौं सिलेमान, पाछे म राखौं जमादार।
जाँघे म राखौं लोहा के झार,
पिण्डरी म राखौं सोखन वीर।
उल्टन काया, पुल्टन वीर, हाँक देत हनुमन्ता छुटे।
राजा राम के परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौकी।
कीर करे बीट बिरा करे, मोहिनी-जोहिनी सातों बहिनी।
मोह देबे जोह देबे, चलत म परिहारिन मोहों।
मोहों बन के हाथी, बत्तीस मन्दिर के दरबार मोहों।
हाँक परे भिरहा मोहिनी के जाय, चेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।”
विधि-
उक्त मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक सज्जन के द्वारा अनुभूत बतलाया गया है। फिर भी शुभ समय में 108 बार जपने से विशेष फलदायी होता है। नारियल, नींबू, अगर-बत्ती, सिन्दूर और गुड़ का भोग लगाकर 108 बार मन्त्र जपे।

शत्रुओं को अपने जीवन से दूर करने के

जैसे – जैसे आप सफलता की ऊँचाइयों को छुते जाते हैं वैसे – वैसे आपके आस – पास आपसे इर्ष्या करने वाले शत्रु इक्कठे हो जाते हैं। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं चाहता कि उनके जीवन में कोई शत्रु हो, लेकिन आपकी सफलता को देखकर आपका विरोध करने के लिए कोई न कोई आपका शत्रु बन ही जाता हैं। ये शत्रु आपके जीवन की सफलता की राह में रोड़े अटकाने का अथक प्रयास करते हैं। जिससे कारण आपको कई बार अपने जीवन में हानि का सामना करना पड़ता हैं। शत्रुओं के द्वारा हानि पहुँचाने पर आपके जीवन में तनाव भी उत्पन्न हो जाता हैं।

हम अपने शत्रुओं से सुलह करने की उन्हें अपने अनुकूल बनाने की लाख कोशिश कर लें। परन्तु हमें कोई सफलता नहीं मिल पाती। अगर आपके लाख प्रयास करने के बाद भी आपके शत्रु आपका विरोध करना नहीं छोड़ते तथा आपको बार – बार परेशान करने की कोशिश करते रहते हैं। आपके कार्य स्थल में आपका विरोध करते हैं तो आप अपने शत्रु से मुक्त होने के लिए कुछ चमत्कारी मन्त्रों को आजमा सकते हैं